Monday, 15 July 2013

दिन ढल जाए हाए रातभी जाए

दिन ढल जाए हाए रातभी जाए,
छुट्टी ना आए उसकी याद सताए।

ऑफिस में मेरा सब दिन बीता,
बैठे हैं लैपटॉप थाम  
 ट्रेकर के मारे हाल हुआ ये,
बैठे हैं सिरको थाम

ट्रेकर बने पर ग्राफ ना बन पाए


ऐसी ही FD ऐसे ही चेंजिस,
ऐसी डिफेक्टकी बरसात।

दिन भर लड़ें  हम कोड के साथ
और, HPQC  के साथ।

काश ये फेज अब फिरसे आए।

 
कट ओवर के कितनेपास हैं जितने,
गो लाइव  से कितने दूर।

मैनेजर हमसे हम, लोड से परेशां,
दोनों हैं मजबूर

ऐसे में किसको कौन मनाए 

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