Sunday 13 October 2019

जिंदगीका सफ़र

 

ये सफ़र यूँ ही चलता जाए, हमें मंज़िल की चाह नहीं,

चलते चलते चलते जाएं, हो सुबहकी शाम नहीं।


ज़िन्दगीके  सफरमें  हमको, मिला है ऐसा साथी एक,

जिसके संग हम बहते जाएं, हो नदियाकी धार कोई।

 

रातके इस आलम में, चमके तारे अम्बर पर,

हमभी तारों संग जगमगाएँ, हो फिर रैन की भोर नहीं।

 

जीवन है आकाश हम बादल बनकर चल ऊड जाएँ 

नीले गगनमें उड़तें जाएँ, ओर न हो कोई छोर नहीं।

 

 

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