दूर तलक देखा, कोई नज़र न आया,
अकेला ही राह पर चलता रहा.
देस पराया और राहें नईं , अब,
देस को अपने याद करता रहा.
सब कुछ यहां है, मगर कुछ नहीं,
छोड आया उसे याद करता रहा.
कोई मिले भी यहां तो बेगानी नज़र,
परयों में अपनों को तलाशता रहा.
जब तनहा हूँ मैं, तब समझने लागा,
वो खुशियाँ थीँ जिन्हें गम समझता रहा.
चमकता है सब, मीट्टी है मगर,
सोना जिसे मैं समझता रहा.
समझा हूँ क़िमत उस मीट्टीकी जिसे,
कल तलक पैरोंसे ठुकराता रहा.
अकेला ही राह पर चलता रहा.
देस पराया और राहें नईं , अब,
देस को अपने याद करता रहा.
सब कुछ यहां है, मगर कुछ नहीं,
छोड आया उसे याद करता रहा.
कोई मिले भी यहां तो बेगानी नज़र,
परयों में अपनों को तलाशता रहा.
जब तनहा हूँ मैं, तब समझने लागा,
वो खुशियाँ थीँ जिन्हें गम समझता रहा.
चमकता है सब, मीट्टी है मगर,
सोना जिसे मैं समझता रहा.
समझा हूँ क़िमत उस मीट्टीकी जिसे,
कल तलक पैरोंसे ठुकराता रहा.
Jo'burg 2011
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