Saturday 11 August 2012

कान्हा कृष्ण मुरारी

कान्हा  कृष्ण मुरारी,
कान्हा कान्हा कृष्ण मुरारी,
तुम हो मेरे कुञ्ज बिहारी,
कान्हा  कृष्ण मुरारी,
कान्हा कान्हा कृष्ण मुरारी.


पनिया भरन मैं,  दौड़ी जाऊं,
जमुना तट, मैं दौड़ी जाऊं.
तट पे रासबिहारी,
कान्हा  कृष्ण मुरारी,
कान्हा कान्हा कृष्ण मुरारी.


मैं मीरासी जोगन बन गई,
मैं मोहनकी राधा बन गई,
सुध बुध, सबही बिसारी,
कान्हा  कृष्ण मुरारी,
कान्हा कान्हा कृष्ण मुरारी.


मैं कान्हा के रंगमें रंग गई,
मैं कान्हाको देखके सज गई,
मैं जग भूल बिसारी.
कान्हा  कृष्ण मुरारी,
कान्हा कान्हा कृष्ण मुरारी.


अपने रंग पे मैं इतराऊं,
मैं अपने रंग पे इतराऊँ,
मैं कान्हा सी कारी,
कान्हा  कृष्ण मुरारी,
कान्हा कान्हा कृष्ण मुरारी.


मगरपट्टा to घर.
2011.


Saturday 4 August 2012

सरहद


पुकारती है जिंदगी सरहदों के पार,

बुला रही है, जिंदगी  सरहदों के पार.

  

मेरा बचपन मेरी जवानी, मेरी कितनी यादें.

मेरी आधी जिंदगी है सरहदों के पार .

 

जिसके साएमें छुपताथा, खेलता सोता था,
वो बूढ़ा बरगद आज खड़ा है, सरहदों के पार.


 

एक दरयाके दो हिस्से, किये इस बटवारेने,
आधा दरया बह गया है, सरहदोंके पार.


ईश्वर और अल्लाहका भी हो चूका बटवारा,
मेरा इश्वर यहाँ है, अल्लाह सरहदों के पार.

 

'नाज़' से कहता रहा हूँ, खुदको मैं हिन्दोस्तानी,
आधा हिन्दोस्ताँ पड़ा है, सरहदों के पार.


21/08/1997
बिलिमोरा
INIDA TODAY special issue on 50th Independance Day - stories of families of Punjab

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