Monday 14 October 2019

लम्हा

कई साल पहले गुज़र गया,
उसी मोड पे खडा हूँ मैं ।
तेरी याद अब भी गई नहीं,
तुझसे अभीभी जुड़ा हूँ मैं ।

पहेचान मेरी रही नहीं
पहेचान तेरी भी खो गई ।
तू कौन था मैं कौन हूँ,
इसी सोच में पड़ा हूँ मैं ।

कितनेही लम्हे गुज़र गये,
मुझको यूँ तनहा कर गये।
तेरी याद का वो पल कहां,
जिसे थामने खड़ा हूँ मैं ।

एक वक़्त था तनहाई में
रहकर भी तनहा नहीं हुए ।
तब साथ था तुम्हारे मैं,
अब भीडमें खड़ा हूँ मैं ।

हिस्सा मेरे वजूद का,
तेरे जानेसे चला गया ।
मैं रहुं, या अब मैं ना रहुं,
इसी सोचमे पड़ा हूँ मैं ।

मैं चल रहा था राह पर,
आवाज़ कोई कहीं नहीं ।
किसीने पुकारा अतीत से,
तुझे देखने मुड़ा हूँ मैं ।

(For my childhood friend who passed away few years ago.)

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